आधुनिकता से भी काफी आगे 3020 ई.

2 1
Read Time2 Minute, 50 Second

पुस्तक चर्चा

राकेश शंकर भारती लेखन की दुनिया में वो प्रतिष्ठित नाम है जो किसी परिचय का मुहताज नहीं है । इनका एक उपन्यास 3020 ई0 अभी हाल ही में आया है, जिसने साहित्य की दुनिया में तहलका मचा कर रख दिया है। यह उपन्यास मुझे जयपुर के कार्यक्रम में प्राप्त हुआ था, जिसका अधिकांश भाग में पढ चुका हूं ।

करोना वायरस और लॉकडाउन, पृथ्वी पर प्रलय एवं मंगल ग्रह पर मानव बस्ती स्थापित होने तक की बड़ी ही अद्भुत कहानी है । इस उपन्यास में उपन्यासकार ने अपनी कल्पना शक्ति का वो जबरदस्त उदाहरण दिया है कि उसके वर्णन के लिए मेरे पास तो शब्द ही नहीं है । भारती जी की तमाम कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं और वे सभी कृतियां अनछुए पहलुओं पर ही केंद्रित हैं ।

उपन्यास 3020 ई. में कुल 200 प्रष्ठ हैं । आधुनिक तरीके से प्रकाशित यह उपन्यास कागज, मुद्रण, लेखन, साज-सज्जा लगभग प्रत्येक दृष्टि से बहुत ही सुंदर बन पड़ा है । उपन्यास की लेखन शैली ऐसी है जो पाठक को किताब बंद ही नहीं करने देती । पाठक अगर एक बार खोलकर पढ़ने बैठ जाए तो किताब बंद करने का सवाल ही नहीं पैदा होता ।

भारती जी बिहार की पावन धरती पर जन्मे और दिल्ली में उच्च शिक्षा ग्रहण की । आजकल वे यूक्रेन में ही शादी रचा कर बस गए हैं । तमाम भाषाओं के जानकार भारती जी काफी मिलनसार,नेक हृदय सज्जन पुरुष हैं । उनकी लेखनी शारीरिक, मानसिक स्तर पर बड़ी ही बेबाकी से चलती है । नारी व अर्ध्दनारी/पुरुष पर उन्होंने बहुत लिखा है जो शोध का विषय है ।

3020ई. उपन्यास आधुनिकता से भी बहुत आगे की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है । अमन प्रकाशन- कानपुर के सौजन्य से प्रकाशित इस रोमांचकारी उपन्यास के लिए लेखक को बहुत-बहुत बधाई । हम आशा करते हैं कि भविष्य में आपकी लेखनी से निकली ऐसी तमाम कृतियां हमें पढ़ने को मिलेंगी । आप ईश्वर कृपा से स्वस्थ रहें और इसी तरह मां भारती का भंडार भरते रहें ।

  • मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
    फतेहाबाद, आगरा

matruadmin

Next Post

बुरा भले ही मानिए

Mon Mar 29 , 2021
हे प्रभु उनको ज्ञान दो, जो ज्ञानी घनघोर। स्वयं अल्पज्ञानी भले, रहलें अंतिम छोर।। धन उनको प्रभु दीजिए, बने हुए धनवान। मैं तो निर्धन ही भला, मिले पाव भर धान।। जीभ चटोरे लोक को, देना छप्पन भोग। हे प्रभु दे देना मुझे, देश भक्ति का रोग।। तन बल ईश्वर दें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।