…और वो भगवान बन गया

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दुनिया के कुछ देशों में क्रिकेट मजहब की तरह है,उसमें से एक देश हिन्दुस्तान भी है और इसी देश में एक बच्चा जो  क्रिकेट का भगवान बन गया अपने जुनून,मेहनत और लगन के दम पर..।

तो कहानी सचिन की सचिन पर सचिन के साथ है। ‘सचिन सचिन:अ बिलियन ड्रीम्स’ फिल्म यानी पर्दे पर सचिन तेंदुलकर की आमद और  मैदान पर सचिन-सचिन की चीत्कार रोंगटे खड़े कर देती है। मुम्बई के दादर इलाके में जन्मे बच्चे की कहानी,जो १९८३ में भारतीय टीम को विश्व कप लेते देखता है और यही सपना आंखों में सजा लेता है। २८ साल बाद वही ट्राफी हाथ में  लिए खुशी जाहिर करते दिखता है और बताता है जो ख्वाब उसने देखा था पूरा किया है।
फ़िल्म में पुराने वीडियो और रुपांतरण को बेहद खूबसूरती से मिलाया गया है जो काबिले गौर है। निर्देशक जेम्स आर्किसन ने फिल्म में कमाल दिखाया है।
फ़िल्म में सचिन जब कामयाबी का पहाड़ चढ़ रहे थे,तब अज़हर वही पहाड़ उतर रहे थे,इसका दृश्य सुंदरता से फिल्माया गया है। यह अण्डरस्टूड सिनेमा के जरिए दिखाया गया है। इस फिल्म में पारिवारिक मामले भी उजागर हुए हैं। जैसे अजीत तेंदुलकर ने कैसे बल्ला थमाया ओर साथ में मेहनत की,
सचिन की पत्नी अंजलि का त्याग-समर्पण भी शानदार है,क्योंकि एक कामयाब इंसान के पीछे उसकी खुद की मेहनत,लगन के साथ परिवार का त्याग-समर्पण भी साथ होता है। अपने आप में सचिन और क्रिकेट एक दूजे के पर्याय हैं,इसलिए यह फ़िल्म परिवार के बच्चों को दिखाना चाहिए,जिससे उन्हें अभिप्रेरणा मिले और वह सचिन जैसे सपने सज़ाकर उन्हें पूरा करने में भिड़ जाएं।
फ़िल्म दस्तावेजी साक्ष्य और पुनः निर्माण का अद्धभुत मेल है। रहमान का संगीत कानों से होता हुआ दिल तक पहुँच रहा है। एक गाना जोश भर देता है- ‘हिन्द मेरे जींद है’। लेखन सन्दीप श्रीवास्तव तथा अनंत शिवा कुमार का भी ठीक है।
######  इदरीस खत्री

 

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।