फितरत

0 0
Read Time1 Minute, 49 Second

फितरत से वो बाज ना आएं,
जो दिल के काले होते हैं।
चेहरे पे चेहरे लाख चढ़ाएं,
जो झूठ के पुतले होते हैं।

हर पल और हर मौसम में,
गिरगिट सा रंग बदलते हैं।
दौलत शौहरत की खातिर ,
अपना ईमान बेचते हैं।

मिश्री से बोल जुबां पे रहते,
शुभचिंतक बनते फिरते हैं ।
भोकें छुरा सदा पीठ पर,
जो अपने बनते फिरते हैं।

चिकनी चुपड़ी बातें करके,
हमें मक्खन खूब लगाते हैं।
ऐसे, वैसे और कैसे भी ये,
बस अपना काम बनाते हैं।

खुद के दोष छिपाने को ये,
औरों के दोष गिनाते हैं।
अपना गला बचाने को नित,
औरों पर इल्जाम लगाते हैं।

लालच के भेड़िए आस पास,
खुले आम विचरण करते हैं।
घात लगाए लगाकर बैठते ये,
चतुराई से वार फिर करते हैं।

जो स्वार्थ पूजते फिरते हैं,
बड़े मन के मैले होते हैं।
खुद के दुर्गुण ना देखना चाहें,
औरों में खोजते रहते हैं।

सुख चैन लूट कर औरों का,
मन्द मन्द मुस्काते हैं।
पहुंचा कर चोट किसी को ,
धीरज फिर बंधाते हैं।

मासूमियत का पहन चोला,
ये बहरूपिये बन जाते हैं।
अपने गैरों की भीड़ में ये,
ना पहचाने जाते हैं।

लो बुद्धि से काम सदा तुम,
यूँ ही ना एतवार करो।
नीर क्षीर विवेक से तुम,
अपनों की पहचान करो।

बनेगा जीवन सरस तुम्हारा,
बस इतना सा काम करो।
ऐसे फितरत बाजों पर,
कभी ना तुम विस्वास करो।

स्वरचित
सपना (स. अ.)
जनपद-औरैया

matruadmin

Next Post

शांति

Sat Feb 6 , 2021
आत्मा का मूल धर्म शांति आत्मा का यही मिजाज क्रोध होता मात्र क्षणिक चलता शांति का ही राज क्रोध बिगाड़ता शरीर को आत्मा विचलित हो जाती आत्मस्वरूप मे रहने मात्र से मन को शांति मिल जाती मन के शांत रहने मात्र से संकट मिट जाएंगे सारे तन मन दोनों स्वस्थ […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।