प्रेरणा परिवार की काव्य गोष्ठी

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हिसार |

नवोदित लेखकों को मंच प्रदान कराने के उद्देश्य से पिछले इक्कीस साल से चलाए जा रहे मासिक काव्य गोष्ठी कार्यक्रम के अन्तर्गत नगर की प्रमुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था प्रेरणा परिवार की मासिक काव्य गोष्ठी स्थानीय टाऊन पार्क में संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ की अध्यक्षता में आयोजित की गई। मन्च संचालन जयभगवान यादव ने किया । गोष्ठी के आरंभ में देश के जाने-माने व्यंग्यकार प्रोफेसर मधुसूदन पाटिल को श्रद्धांजलि दी।
मास्टर जयभगवान यादव ने अपनी रचना ग्रामीण परिवेश पर सुनाई,
दिन वो भी क्या थे जब हम ऐसे गांव में रहते थे,
सुबह शाम करते एक खेत में काम दुपहरी पेड़ की छांव में रहते थे।
संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ ने अपने चिर परिचित अंदाज में रचना सुनाई
यूं तो मेरे शहर का मौसम रहता है हमेशा खुशनुमा।
बस पड़ोसी शहर की आबो-हवा ही खराब रहती है।
ऋषि कुमार सक्सेना ने पर अपनी रचना किसान आंदोलन पर सुनाई,
सड़क पर बैठा है मेरा अन्नदाता,
नया साल कैसे मनाऊं मेरे दाता।
देखो दिल्ली गया तो इटली चली गई।
कृष्ण कुमार इंदौरा की रचना कुछ ऐसी थी,
खौफ सताए श्रम बेकार चेहरा किसान मुस्कान जरूरी है,
अन्नदाता भंडार भरे वाजिब दाम जरूरी है,
जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था आधार खेत खलिहान जरूरी है।
विद्युत विभाग से सेवानिवृत्त सत्यपाल शर्मा की रचना कुछ ऐसी थी,
जिस्म की हर सांस तक सेनानियों की देन है ,
सूलियों पर वे चढ़े हम जी रहे हैं। इसलिए।
रामायण के प्रकांड विद्वान एवं साहित्यकार पीपी शर्मा की पंक्तियां कुछ ऐसी थी,
गोष्ठी का उद्देश्य यही है हृदय प्रेम से आ जाना,
आओ बैठो काव्य पाठ करो प्रेमसागर लेकर जाना।
कवि राजेंद्र अग्रवाल की रचना कुछ ऐसी थी,
नव वर्ष केवल कैलेंडर बदलने का नहीं,
बल्कि शांति की सुखद दिन का है।
इस अवसर पर सुभाष चंद्र, मेघराज, रमेश दूहन ने भी अपनी रचना सुनाई। कार्यक्रम के अंत में संस्था निदेशक शुभकरण गौड़ ने काव्य गोष्ठी को सफल बनाने के लिए सभी कवियों एवं आगंतुकों का धन्यवाद किया।

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