Read Time1 Minute, 53 Second
निर्भया आज तुम खूब रोईं होंगी,
आखिर न्याय मिल ही गया तुमको
मगर तुम्हारे आंसूओं का मोल नहीं
क्योंकि,तुम अकेली नहीं हर रोज
अनगिनत निर्भया यहां चुपचाप या
बिलकुल चुपचाप सुला दी जाती हैं,
अपने ही लोगो द्वारा छली जाती है..।
शायद तुम एक आवाज बनती,
लेकिन कानून के कान उसे
सुन न सके,और व्यवस्था की आँखें
देख नहीं पाई..तुम रोई, सिसकी
तुम्हारी आत्मा,जीने को तड़पी..
बार-बार तुमने हाथ बढ़ाया,
मगर दुःख कि,तुम खाली हाथ थी
और आज भी खुश मत होना..
आज भी तुम खाली हाथ हो।
क्योंकि,आज भी तुम्हारी ही जैसी,
अनगिनत निर्भया अनामिका बन
कब्र में जा रही हैं..
हमें गर्व है कि हमारा कानून,
एक बचपन को तो बचाता है..
मगर एक जिंदगी को,
एक आशा को
एक बेटी के विश्वास को,
क्या बचा पाया.. ?
#विजयलक्ष्मी जांगिड़
परिचय : विजयलक्ष्मी जांगिड़ जयपुर(राजस्थान)में रहती हैं और पेशे से हिन्दी भाषा की शिक्षिका हैं। कैनवास पर बिखरे रंग आपकी प्रकाशित पुस्तक है। राजस्थान के अनेक समाचार पत्रों में आपके आलेख प्रकाशित होते रहते हैं। गत ४ वर्ष से आपकी कहानियां भी प्रकाशित हो रही है। एक प्रकाशन की दो पुस्तकों में ४ कविताओं को सचित्र स्थान मिलना आपकी उपलब्धि है। आपकी यही अभिलाषा है कि,लेखनी से हिन्दी को और बढ़ावा मिले।
Post Views:
97
Bahut hi badia