हर प्राणी बनें आत्मनिर्भर।।

1 0
Read Time3 Minute, 19 Second

सारे नर बनें आत्मनिर्भर, और नारी बनें आत्मनिर्भर
पशु पक्षी बनें आत्मनिर्भर, हर प्राणी बनें आत्मनिर्भर
कुछ तो सीखो उन पौधों से, तूफान धूप जल सहते हैं
फिर भी न तनिक विचलित होते, अस्तित्व बनाये रहते हैं
और मधुर फलों से लदे हुए , वो खुद की हानि कराते हैं
पर कर्म वो अपना करते हैं, और कर्म को मान बताते हैं
हो लाभ तो अच्छे कर्म कर, हो हानी बनें आत्मनिर्भर
पशु पक्षी बनें आत्मनिर्भर, हर प्राणी बनें आत्मनिर्भर

कुछ तो सीखो उन पशुओं से, जो विचरण करते रहते हैं
मंजिल को पहुंचने की खातिर वो रस्ता ढूंढा करते हैं
मस्तिष्क भले कम विकसित हो पर लक्ष्य निगाहों में रहता
असफल हो जाते हैं फिर भी वो लक्ष्य तो ह्रृदयों में रहता
बस लक्ष्य पर अपने रख नजर असफल भी बनें आत्मनिर्भर
पशु पक्षी बनें आत्मनिर्भर, हर प्राणी बनें आत्मनिर्भर

रेंगते हुए वो सूक्ष्मजीव जो हमसे बहुत कुछ कह जाते
जीवन जीने की कला सदा ये कीट भी हमको सिखलाते
छोटी पिपीलिका को देखो, जो पर्वत पर चढ़ जाती है
चट्टानें बड़ी हों या राहें फिर भी आगे बढ़ जाती है
गिरने का जो भी छोड़े डर बढ़ आगे बनें आत्मनिर्भर
पशु पक्षी बनें आत्मनिर्भर, हर प्राणी बनें आत्मनिर्भर

उड़ते पक्षी को ही देखो पर से आकाश नापता है
हो चाहे जितनी दूर स्वयं धरती पर लक्ष्य ढूंढता है
राहों में कंटक कंकर हो पर इनसे नहीं घबराना है
कष्टों को हंसकर सह लेना जीवन में चलते जाना है
बन जाते पुष्प पथ के कंकर स्वसिद्ध कर बनें आत्मनिर्भर
पशु पक्षी बनें आत्मनिर्भर, हर प्राणी बनें आत्मनिर्भर

कोई छोटा बड़ा नहीं होता सबमें कुछ ना कुछ कौशल है
मस्तिष्क किसी का है विकसित कुछ में सक्रिय बाहूबल है
कोई दौड़ दौड़ के भागता है कोई बैठे बैठे सब कर लें
खुद पर इतना विश्वास करें खुद की झोली खुद ही भर लें
बस आत्मकेंद्रित हो स्व पर संघर्ष कर बनें आत्मनिर्भर
पशु पक्षी बनें आत्मनिर्भर, हर प्राणी बनें आत्मनिर्भर

ऐ मनुज!स्वच्छ कर निर्मल मन कर लें थोड़ा सा आत्मज्ञान
तुझमें है अपरम्पार शक्ति बिल्कुल नहीं जो सबके समान
तू सफल नहीं तब तक होगा जब तक ना खुद को समझेगा
और व्यर्थ की बाते सोच सोच बस व्यर्थ में ही यूं उलझेगा
खुद के कर्मों का दिखे‌ असर सत्कर्म कर बनें आत्मनिर्भर
पशु पक्षी बनें आत्मनिर्भर, हर प्राणी बनें आत्मनिर्भर।।

अजय एहसास
अम्बेडकर नगर ( उ०प्र०)

matruadmin

Next Post

प्रधान सेवक सीमाओं पर

Sat Jul 4 , 2020
भारत का चीन से सीमाओं पर विवाद जारी है, गलवान घाटी में चीन के सैनिकों द्वारा धोखे से किए गए हमले में वीरगति को प्राप्त सैनिकों के बलिदान से संपूर्ण देश में आक्रोश है, जगह जगह चीन के समान के बहिष्कार का आहवान हो रहा है, चीनी राष्ट्रपति के पुतले […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।