साथी चाहिए…

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कटती नहीं उम्र,
अब तेरे बिना।
मुझको किसीसे मानो,
प्यार हो गया।
जिंदगी की गाड़ी अकेले,
अब चलती नहीं।
एक साथी की जरूरत,
मुझे अब आ पड़ी।।

मिलना मिलाना जिंदगी का,
दस्तूर है लोगों।
खिल जाता है दिल जब कोई,
अपना मिलता है यहां।
जिंदगी के इस सफर में,
मिलकर चलो सभी।
यूंही जिंदगी हंसते,
हुए गुजर जायेगी।।

मतलबी लोगो से थोड़ा,
बच के तुम चलो।
कब धोका दे देंगे,
पता चलेगा भी नहीं।
इसलिए अपनेपन की,
परिभाषा तुम सीखो।
फिर उसके अनुसार ही,
अपनो को तुम चुनो।।

जीवन तुम्हारा सही में
संभाल जाएगा।
हर मुश्किल की घड़ी में
तुम्हें दिख जाएगा।
कौन किसके साथ खड़े है,
मुश्किल की घड़ी में।
सब कुछ तुझे
समाने नजर आएगा।।

अच्छे बुरे लोग,
तुझे दिख जाएंगे।
संसार का चक्र,
तुम्हें दिख जायेगा।
जिंदगी को जीना
आसान काम नहीं।
मिल जुलकर जीओगें तो,
इसमें आंनद बहुत आएगा।।

जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुंबई)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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