
चालीसा हिंदी साहित्य की एक बहुत ही प्रसिद्ध और लोकप्रिय गायन काव्य विधा के रुप मे प्राचीन काल से ही पढ़ी जा रही है। इसमें कुल 40 चौपाइयां होती है प्रारंभ तथा अंत में दोहा अनिवार्य है। पहले इसे किसी देवता या अपने आराध्य की स्तुति में गाया जाता था। यह रचनाएं बहुत ही उच्च स्तरीय की थी । जिसमें हनुमान चालीसा ,शिव , गणेश, दुर्गा ,राधा, राम आदि का नाम लिया जा सकता है।
दूसरे क्रम के कवियों ने चालीसाओं के नाम से व्यंग करने लगे हल्की और घटिया शब्दों ने हिंदी का स्तर बहुत ही गिरा दिया। लेकिन गायन की लोकप्रियता बनी रही।
पत्नी चालीसा, मच्छर चालीसा लालू चालीसा आज ऐसी कई रचनायें है ,जो सिर्फ व्यंगात्मक हैं।
वर्तमान में डॉक्टर मसानिया ने अपने चालीसा के माध्यम से देव स्तुति के अलावा शैक्षणिक नवाचार से दुनिया भर के छात्र जगत को लाभान्वित किया है। उनके चालीसा गायन द्वारा घर घर, गांव गांव , जन-जन तक शैक्षणिक नवाचार का माहौल
बना है। शिक्षा जगत में ऐसा रचनात्मक कार्य पहली बार देखने को मिला है। 50 से अधिक चालीसा लोगों के कंठाहार बने हैं। हम अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से इन्हें पांच भागों में बांट सकते हैं।
1 धार्मिक। इसमें शनि चालीसा बगलामुखी, बैजनाथ ,पहेली रामायण,प्रजापतिदक्ष,राम ,कृष्ण ,हरदोल, गुरु नानक, गुरु आदि समाहित है।
2 शैक्षणिक— इसमें आगर, हिंदी ,संस्कृत ,गणित, व्याकरण, निर्वाचन,गणित दोहावली, भाषा , गद्य दोहावली, पर्यायवाची , विलोम शब्द ,कहावत /मुहावरे, इतिहास ,विज्ञान, टिपानिया, परीक्षा आदि महत्वपूर्ण है ।
3 -महापुरुष– भीमराव चालीसा,अटल बिहारी, शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, तरुण सागर महारज, महात्मा गांधी, महाराणा प्रताप ,दयानंद सरस्वती आदि के नाम लिए जा सकते हैं ।
4 क्रीड़ा संबंधी — इसमें क्रिकेट, सचिन तेंदुलकर, योग चालीसा आदि शामिल किये जा सकते हैं।
5 महिला सशक्तिकरण–इसमें देवी अहिल्या बाई,बेटी बुधिया, माता पच्चीसा, श्रृंगार पच्चीसा और बेटी चालीसा प्रमुख है।
प्रस्तुति — योगेश कुमार उपाध्याय
व्याख्याता डाइट शाजापुर म प्र