
आज बेचारा मजदूर कितना परेशान है।
उसको अपने ही घर में पहुंचने में कितने व्यवधान है।।
क्या किसी ने सोचा वह कितनी मुसीबतें उठा रहा है।
क्या किसी सरकार का इस तरफ कोई ध्यान है ।।
तड़फ रहा है रास्ते में वह भूख व प्यास से।
क्या किसी ने सोचा उस पर कितना खाने का सामान है।।
चला जा रहा है अपनी अर्थी उठाए अपने आप ही।
समझ रहा है वह हर जगह उसके लिए श्मशान है।।
पहुंचना चाहता है वह किसी तरह अपने गांव में।
उसकी किस्मत का मालिक अब केवल भगवान है।।
लगा है एक बैल कि जगह बैलगाड़ी चलाने के लिए।
क्या मदर इंडिया का वह सीन किसी को ध्यान है।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम