गुरु की महिमा
गुरु ही जाने।
भक्त उन्हें तो
भगवान पुकारे।
जो भी श्रध्दा
भाव से पुकारे।
दर्शन वो सब पावे।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को
खुद समझ लो।।
कितने पावन
चरण है उनके।
जहाँ जहाँ पड़ते
तीर्थ क्षैत्र वो बनते।।
ऐसे ज्ञान के सागर को।
सब श्रध्दा से
वंदन है करते।।
ऐसे आचार्यश्री की
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को
खुद समझ लो।।
क्षमा सुधा और
योगसागर जैसे।
प्रतिभाशाली शिष्य है
गुरुवर के।
चारो दिशाओं में
ये विखरे है।
धर्म प्रभावना ये
बड़ा रहे है।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को
खुद समझ लो।।
जिन वाणी के
प्राण है गुरुवर।
ज्ञान की गंगा
बहती मुख से।
जो भी शरण
इनके है आता।
धर्म मार्ग को
वो समझ जाता।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को
खुद समझ लो।।
बुन्देखण्ड की
जान है गुरुवर।
घर घर में
बसते है मुनिवर।
धर्म प्रभावना बहाते
शान बुन्देखण्ड की कहलाते।
मोक्ष मार्ग का
पथ दिखला कर।
आत्म कल्याण के
पथ पर चलाते।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को
खुद समझ लो।।
कितने पशुओं की
हत्या रुकवाये।
जीव दया केंद
अनेक खुलवाये।
स्वभिलंबी बनाने को
कितने हस्तकरधा लगवाए।
इंसानों के प्राण बचाने
भाग्यादोय आदि खुलवाये।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को
खुद समझ लो।।
शिक्षा दीक्षा के लिए
ब्रह्मचारी आश्रम और
प्रतिभा स्थली खुलवाये।
ज्ञान ध्यान पाकर के
बने तपस्वी और उच्चाधिकारी।
भ्रष्टाचार को ये
लोग मिटावे।
महावीर राज ये
फिर से बसावे।।
ऐसे आचार्यश्री की
जय जय बोलो।
मुक्ति के पथ को
खुद समझ लो।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।