स्त्रियाँ सिर्फ प्रेम होती हैं.!

2 0
Read Time1 Minute, 59 Second

स्त्रियाँ सिर्फ प्रेम होती हैं,
अगाध प्रेम,
सागर की तलहटी के मानिन्द
जिसकी गहराई की,
कोई माप नहीं!
क्षितिज के आँचल सी सुर्ख,
आँखों को लुभाती,
आकाश सी विस्तृत,
मन को ठन्डक पहुचाती,
दशों दिशाओं सी, रिश्तों में गुथीं !
जिसका कोई ओर छोर नहीं !
फूलों सी…महकती,
चिड़ियों सी चहचहाती !
झरने सी मीठी,
तुलसीदल सी पवित्र,
गीता सी सत्य,
रामायाण की चौपाई सी सरल
हाँ स्त्रियाँ सिर्फ प्रेम होती हैं!

सुख दुख, अच्छा बुरा,
सबको आत्मसात कर,
सम की परिभाषा में खुद को ढालती..!
छल को माफ कर,
खुद…का अस्तित्व नकारती !
शीतल घड़े सी,
सबकी प्यास बुझाती!
अपने पराये का भेद मिटाती,
बदली सी सब पर नेह बरसाती !
हाँ स्त्रियाँ सिर्फ प्रेम होती है!

पत्थर को पूजती,
कुल को मान दिलाती!
खुद भूखी रह,
दूसरो की उम्र बढाती !
व्रत, त्यौहार,जोग,टोटका!
सब निभाती !
अपनों के मंगल के लिये,
यम,शनि सब से लड़ जाती !
दूसरों को अहम् को ऊँचा रखने के लिये !
अपनी सोच तक की बलि चढ़ाती !
हाँ स्त्रियाँ सिर्फ प्रेम होती हैं !

मेहंदी सी,
तन मन पर रच जाती !
लाल महावर सी,
हर पल हर दिल उमंग जगाती!
अहसासों की माला गूंथती!
मन के मनकों से,
अपनों के
सपनों को सजाती!
अनन्त नदी सी खुद को
मलिन कर भी,
दूसरों के लिए जीवनदायी बन जाती!
हाँ स्त्रियाँ सिर्फ प्रेम होती हैं

#किरण मिश्रा “स्वयंसिद्धा”
नोयडा(उत्तर प्रदेश )

matruadmin

Next Post

चित्रण

Tue Mar 10 , 2020
जिन्हें हम ढूढ़ रहे, रात के अंधेरों में। वो तो बसते है, हमारे दिल के अंदर। कैसे लोग समझ, नही पाते उन्हें। जबकि वो होते है, सदैव हमारे अंदर।। मन की लगी आग को, कैसे तन से बुझाओगे। कुछ उनके कहे बिना, कैसे समझ पाओगे। यदि दिलसे उनके हो, तो […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।