दंगा

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दंगों में मरने वाले भारत के थे, नहीं थे कोई विदेशी…
उनमें कई मेरे घर से थे , कई थे मेरे पड़ोसी…
जिन्होंने आग लगाई, उनके घर वाले चैन से सोए हैं…
हमें लड़ा कर आपस में वो झूठे नैन भिगोए हैं..
कुछ हिंदू मुस्लिम नेता अपना उल्लू सीधा कर जाते हैं..
उनका तो कुछ ना बिगड़े, हमारे घर के दीपक बुझ जाते हैं
हम नेताओं को चुनकर अपना फर्ज निभाते हैं..
मगर देश जल जाने पर ही वो क्यों जांच बिठाते हैं..
क्यों पहले दिन से ही एक्शन नहीं लिया गया…
आंख खुली जब तक कई घरों का रौशन चला गया..
क्यों दंगों में कोई नेता ना मरता ना इनके घर जलते हैं..
हमेशा हम तुम लड़ते रहते बस हम तुम ही मरते हैं…
सत्ता का गलियारा हो या वो विपक्ष की पहरेदारी..
इन नेताओं ने जनता से की है हमेशा ही गद्दारी…
ना हिंदू ना मुस्लिम था हर कोई था दंगों का दोषी …
ना उनमें कोई अब्दुल्ला था ना था कोई पंडित जोशी…
दंगों में मरने वाले भारत के थे, नहीं थे कोई विदेशी..
उनमें कंई मेरे घर से थे, कई थे मेरे पड़ोसी…
# सचिन राणा “हीरो”
हरिद्वार (उत्तराखंड)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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