भारत- नेपाल के साहित्यकारो ने हरिद्वार साहित्य महोत्सव में लिया साहित्यिक समरसता का संकल्प

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विश्व हिंदी दिवस पर हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित हरिद्वार साहित्य महोत्सव में भारत नेपाल के साहित्यकारों ने दोनों देशों की लोक संस्कृति और साहित्य के आदान प्रदान के लिए साहित्यिक समरसता का संकल्प लिया।इससे पूर्व भी मेरठ और नेपाल के वीर गंज में इस तरह के आयोजन हो चुके है और दोनों देशों के साहित्यकार दोनो देशो के बीच साहित्यिक सेतु की भूमिका निभाने का सार्थक काम कर रहे है।
हरिद्वार की साहित्यिक संस्था अंतः प्रवाह और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय इस साहित्य महोत्सव के शुभारंभ में राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के पूर्व सदस्य डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण,शिक्षा विद वरिष्ठ पत्रकार डॉ पीएस चौहान ,गीतकार रमेश रमन,साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन, नेपाल की हिंदी पत्रिका हिमालिनी की सम्पादक डॉ श्वेता दीप्ति, नेपाल के ही सचिदानंद मिश्र,मेरठ क्रांतिधरा अकादमी के अध्यक्ष विजय पंडित, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डॉ रामपाल सिंह ,दिल्ली के सुशील शैली,कोलकाता की उषा शा आदि की गरिमामय मौजूदगी में हिंदी अंग्रेजी कविताओं के दौर के बीच कुछ शौधार्थियो ने शोध पत्र भी पढ़े। अंतप्रवाह के अध्यक्ष एवं महोत्सव संयोजक संजय हांडा द्वारा संयोजित इस आयोजन में स्वागत सत्र का दीप प्रज्ज्वलन डॉ अरुण,श्रीगोपाल नारसन, रमन,पीएस चौहान ने संयुक्त रूप से किया और प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।जबकि उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में ख्यातिलब्ध फिल्मी गीतकार समीर अनजान विशिष्ट अतिथि तेज चैनल के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक ,कहानीकार संजय सिन्हा ,गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री, उपकुलपति डॉक्टर दिनेश चंद्र भट्ट एवम् हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विष्णु राकेश ने दीप प्रज्वलित किया । कहानीकार और टीवी टुडे नई दिल्ली के तेज चैनल के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक संजय सिन्हा ने कहा कि साहित्य का काम मनुष्य का निर्माण करना है और हमें हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए नकारात्मक सोच हमारे तन और मन दोनों पर विपरीत प्रभाव डालती है उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय और अंतः प्रवाह संस्था ने यह कार्यक्रम कर समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है इसके लिए उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर श्रवण कुमार शर्मा और अंतः प्रवाह के प्रमुख संजय हांडा को बधाई दी। जाने-माने गीतकार समीर अंजान ने कहा कि आज भी कई अच्छे गीत लिखे जा रहे हैं आज से 50 साल पहले फिल्मी दुनिया में गीतों का स्वर्ण काल था। उन्होंने कहा कि हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए और हमें नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए। वही समीर अंजान ने कहा कि सीएए और एनआरसी और जेएनयू को लेकर देश में जो कुछ भी हो रहा है वो देश में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहे है, वो बदलाव क्या होगा वो आने वाला वक्त ही बताएगा। डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण ने अपने सम्बोधन में कहा कि जो राष्ट्र अपनी भाषा को मान देता है वह राष्ट्र महान होता है।डॉ अरुण व प्रोफेसर चौहान ने आयोजन का नाम लिटरेचर फेस्टिवल के बजाए साहित्य महोत्सव किये जाने की बाबत दिए गए सुझाव का समर्थन किया।इस अवसर पर अतिथियों का शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया गया।

#श्रीगोपाल नारसन

परिचय: गोपाल नारसन की जन्मतिथि-२८ मई १९६४ हैl आपका निवास जनपद हरिद्वार(उत्तराखंड राज्य) स्थित गणेशपुर रुड़की के गीतांजलि विहार में हैl आपने कला व विधि में स्नातक के साथ ही पत्रकारिता की शिक्षा भी ली है,तो डिप्लोमा,विद्या वाचस्पति मानद सहित विद्यासागर मानद भी हासिल है। वकालत आपका व्यवसाय है और राज्य उपभोक्ता आयोग से जुड़े हुए हैंl लेखन के चलते आपकी हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें १२-नया विकास,चैक पोस्ट, मीडिया को फांसी दो,प्रवास और तिनका-तिनका संघर्ष आदि हैंl कुछ किताबें प्रकाशन की प्रक्रिया में हैंl सेवाकार्य में ख़ास तौर से उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए २५ वर्ष से उपभोक्ता जागरूकता अभियान जारी है,जिसके तहत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व विधिक सेवा प्राधिकरण के शिविरों में निःशुल्क रूप से उपभोक्ता कानून की जानकारी देते हैंl आपने चरित्र निर्माण शिविरों का वर्षों तक संचालन किया है तो,पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वास के विरूद्ध लेखन के साथ-साथ साक्षरता,शिक्षा व समग्र विकास का चिंतन लेखन भी जारी हैl राज्य स्तर पर मास्टर खिलाड़ी के रुप में पैदल चाल में २००३ में स्वर्ण पदक विजेता,दौड़ में कांस्य पदक तथा नेशनल मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप सहित नेशनल स्वीमिंग चैम्पियनशिप में भी भागीदारी रही है। श्री नारसन को सम्मान के रूप में राष्ट्रीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ.आम्बेडकर नेशनल फैलोशिप,प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान के साथ भी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर(बिहार) द्वारा भारत गौरव

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।