
अब हर रोज़ उनसे मुलाकात नही होती
, हर छोटी-बड़ी कोई खास बात नही होती।
कुछ मसरूफ़ वो भी है,कुछ समय हमारे पास भी नही,
दूर रहने की वजह भी कोई ख़ास नही,
चंद लम्हों की भी अब बरसात नही होती,
अब हर रोज उनसे मुलाकात नही होती।
पहले आते-जाते दुआ सलाम हो जाती थी,
उनकी मुस्कान देख दिन की शुरुआत हो जाती थी,
अब नजरें-इनायत सुबह -शाम नही होती,
अब उनसे रोज मुलाकात नही होती।
कभी ख़यालो में जिक्र हुआ करता था तुम्हारा
, तुम्हारे साथ नाम जुड़ा करता था हमारा ,
उस दौर की हर वो बात आज नही होती,
अब उनसे हर रोज मुलाकात नही होती।
कुछ उनकी मजबूरी है,कुछ मेरी जिम्मेदारियां है,
कुछ वक्त की पाबंदी है ,कुछ हालात की मजबूरियाँ है,
शिकवों-शिक़ायत की अब हर वो बात नही होती,
अब उनसे हर रोज़ मुलाकात नही होती।
याद वो भी करते है,याद मुझे भी आती है
, कुछ खट्टी-मीठी याद ज़ेहन में तरोताजा हो जाती है,
हर एक “ख्याब”की ताबीर नही होती,
अब हर रोज उनसे मुलाकात नही होती ।
#सपना परिहार
#सपना परिहार
परिचय : सपना परिहार की जन्मतिथि-२७ सितम्बर १९७४ और जन्म स्थान-ग्वालियर(मध्यप्रदेश) हैl आपका निवास शहर नागदा हैl एम.ए.(हिन्दी,इतिहास) तथा बी.एड. शिक्षित सपना परिहार का कार्यक्षेत्र अध्यापन(शिक्षिका) का हैl आपको सामाजिक क्षेत्र में कई संस्थाओं से जुड़ने का मौका मिला है l लेखन में आपकी विधा छंदमुक्त है,जबकि कई पत्र-पत्रिकाओं में गीत,ग़ज़ल,कहानी एवं लेख भी प्रकाशित हो चुके हैंl लेखन के लिए आप कई संस्थाओं तथा श्रेष्ठ कवियित्रि के सम्मान से सम्मानित हो चुकी हैं l अन्य उपलब्धि देखें तो आकाशवाणी (इंदौर) से रचनाओं का प्रसारण हुआ हैl आपके लेखन का उद्देश्य-मन के उदगारों को लोगों तक लेखनी से अभिव्यक्त करके पहुंचाना है।