
. १
सर्दी का संकेत हैं, शरद पूर्णिमा चंद्र।
कहें विदाई मेह को, फिर आना हे इन्द्र।
फिर आना हे इंद्र, रबी का मौसम आया।
बोएँ फसल किसान, खेत मानो हरषाया।
शर्मा बाबू लाल, देख मौसम बेदर्दी।
सहें ठंड की मार, जरूरत भी है सर्दी।
. २
मौसम सर्दी का हुआ, ठिठुरन लागे पैर।
बूढ़े और गरीब से, रखती सर्दी बैर।
रखती सर्दी बैर, सभी को खूब सताती।
जो होते कमजोर,उन्हे ये आँख दिखाती।
कहे लाल कविराय, यही तो ऋतु बेदर्दी।
चाहे वृद्ध गरीब, आय क्यों मौसम सर्दी।
. ३
गजक पकौड़े रेवड़ी, मूँगफली अरु चाय।
ऊनी कपड़े पास हो, सर्दी मन को भाय।
सर्दी मन को भाय, रजाई कम्बल होवे।
ऐसी बंद मकान, लगा के हीटर सोवे।
कँपे गरीबी हाड़, लगे यों शीत हथौड़े।
रोटी नहीं नसीब,कहाँ फिर गजक पकौड़े।
. ४
ढोर मवेशी काँपते, कूकर बिल्ली मोर।
बेघर, बूढ़े दीन जन, घिरे कोहरे भोर।
घिरे कोहरे भोर, रेल बस टकरा जाती।
दिन में रहे अँधेर, गरीबी तब घबराती।
सभी जीव बेहाल, निर्दयी शरद कल़ेशी।
जिनके नहीं मकान,मरे जन ढोर मवेशी।
. ५
युवा धनी की मौज है,क्या कर लेगा शीत।
मेवा लड्डू खाय ले, मिले रजाई मीत।
मिले रजाई मीत, गर्म कपड़े सिल जाते।
मिले रोज पकवान ,बदन को खूब पकाते।
कहे लाल कविराय,खाय गाजर के हलुवा।
शीत स्वयं कँप जाय ,मना लेते मौज युवा।
नाम–बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः