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आओ! दुनियावालों
कुछ हम भी
आज बच्चों से
सीख लें।
मिठास मुस्कान से
विभोर कर दें
हर शत्रु को,
बंदूक उठाने की बजाए
फूल हाथों में लेकर
स्वागत की
जयमाला पहनाएँ।
ताकि हर कोई समझें
हम स्वस्थ मष्तिष्क के
जीव श्रेष्ठ मानव है।
एक-दूसरे के
बैर भाव मिटाकर
दुनिया को एक बनाएँ,
जहाँ महकेंगे सदा
कुसुम सुगंधित वन
शेर हिरण एक घाट पर
एक साथ पियेंगे जल।
जब फेंक कर हथियार
पकड़ेंगे फूल,
शांति की ध्वजा लहराकर
हर एक गायेंगे
मिलन गान।
ज्ञान और धन
नित बढ़कर
दुनिया बनेगी
सुख शांति का धाम।
#वाणी बरठाकुर ‘विभा’
परिचय:श्रीमती वाणी बरठाकुर का साहित्यिक उपनाम-विभा है। आपका जन्म-११ फरवरी और जन्म स्थान-तेजपुर(असम) है। वर्तमान में शहर तेजपुर(शोणितपुर,असम) में ही रहती हैं। असम राज्य की श्रीमती बरठाकुर की शिक्षा-स्नातकोत्तर अध्ययनरत (हिन्दी),प्रवीण (हिंदी) और रत्न (चित्रकला)है। आपका कार्यक्षेत्र-तेजपुर ही है। लेखन विधा-लेख, लघुकथा,बाल कहानी,साक्षात्कार, एकांकी आदि हैं। काव्य में अतुकांत- तुकांत,वर्ण पिरामिड, हाइकु, सायली और छंद में कुछ प्रयास करती हैं। प्रकाशन में आपके खाते में काव्य साझा संग्रह-वृन्दा ,आतुर शब्द,पूर्वोत्तर के काव्य यात्रा और कुञ्ज निनाद हैं। आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिका में सक्रियता से आती रहती हैं। एक पुस्तक-मनर जयेइ जय’ भी आ चुकी है। आपको सम्मान-सारस्वत सम्मान(कलकत्ता),सृजन सम्मान ( तेजपुर), महाराज डाॅ.कृष्ण जैन स्मृति सम्मान (शिलांग)सहित सरस्वती सम्मान (दिल्ली )आदि हासिल है। आपके लेखन का उद्देश्य-एक भाषा के लोग दूसरे भाषा तथा संस्कृति को जानें,पहचान बढ़े और इसी से भारतवर्ष के लोगों के बीच एकता बनाए रखना है।
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Tue Jul 23 , 2019
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