जिंदगी में तमन्नाएं बहुत है, पर इरादे नेक नहीं।
यदि होते इरादे नेक तो,
क्यों भटकता यहां वहां।
इसलिए कहता जैन मद,
खुद जियो औरों को भी जीने दो।
यही भावनाएं भाते रहो,
और खुद जिंदगी को सार्थक करो।।
मिला है मानव जन्म तो
इसे समझो ,
क्योकि ये मिला पिछले अच्छे कर्मों से।
अब आने वाले भव के बारे में सोचो।
और इस भव में दया दान धर्म सेवा आदि,
जैसे भावो के साथ जिओगे।
तो निश्चित ही अच्छे फल पाओगे।।
यू तो जिंदगी ऐसे ही निकल जायेगी।
बिना लक्ष्य के भी जिंदगी गुजार जाएगी।
पर आने वाले भव का क्या होगा?
ये कोई नही तुमको बता पायेगा।।
सब कुछ तेरी करनी पर निर्भर करता है।
जीवन का चक्र इसी तरह से चलता है।
इसलिए सोच समझकर
कर्म करो।
और अपने आने वाले भव को सुधार लो।।
विधाता के इस चक्रव्यू को समझ लो।
और अपने जीवन को इसी अनुसार ढार लो।।
अपना मानव जीवन को सफल बना लो।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।