भारतीय भाषा सम्मान यात्रा का प्रथम पड़ाव पुणे था यहां कात्रज में महावीर प्रतिष्ठान में बैठक रखी गई थी जिसमें स्थानीय समाज के अति महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे। बैठक में सर्वप्रथम श्री बिजय जैन तथा डॉ एम एल गुप्ता ‘आदित्य’ ने भारतीय भाषा सम्मान यात्रा के मंतव्य और उद्देश्य की जानकारी दी। इस विषय पर भी चर्चा हुई कि जिस प्रकार भारतीय भाषाएं निरंतर प्रचलन से बाहर होती जा रही हैं इसके चलते भारतीय धर्म,साहित्य, संस्कृति, ज्ञान और विज्ञान भी नष्ट होता जाएगा और विदेशी भाषा के माध्यम से हमारे ज्ञान विज्ञान का समुचित विकास नहीं हो सकेगा।
डॉ विजयकांत कोठारी, अध्यक्ष महावीर प्रतिष्ठान, राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित जाने माने हृदय चिकित्सक डॉ, कल्याण गंगवाल, जैन ट्रेडर्स ऑर्गेनाइजेशन जीतो के पूर्व अध्यक्ष श्री विजय भंडारी, समाजसेवी श्री पोपट ओसवाल, भारतीय भाषा अपनाओ अभियान के राष्ट्रीय संयोजक श्री रमेश ओसवाल सहित समाज के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति सभा में उपस्थित थे।
इन सब ने यह माना कि भारत की संस्कृति, धर्म, ज्ञान विज्ञान तथा राष्ट्रीय एकता को अक्षुण रखने के लिए भारतीय भाषाओं को परस्पर एकजुट करना बहुत ही आवश्यक है।
ज्यादातर प्रतिभागी यह जानकर आश्चर्यचकित थे कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। उनका यह मत था कि देश के लिए एक राष्ट्रभाषा होनी ही चाहिए।
सभी ने एकमत से यह संकल्प किया कि वे इस अभियान में अपना पूर्ण सहयोग देंगे और भविष्य में अधिक से अधिक लोगों को इस अभियान में जोड़कर भारतीय भाषाओं को बचाने और आगे बढ़ाने के कार्य में अपना योगदान प्रदान करेंगे।
सभा के पश्चात हिंदी और भारतीय भाषाओं की स्थिति और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के संबंध में एक लघु नाटक भी प्रस्तुत किया गया।
सबसे पहले मातृभाषा और फिर राष्ट्रभाषा तथा भारतीय भाषाओं की एकजुटता के साथ साथ हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने और भारत का नाम केवल भारत ही रखे जाने का संकल्प लेकर पुणे की सभा संपन्न हुई।
#वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई