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बड़े-बड़े तुम वादे करके, सत्ता पर हो गये सवार |
कैसे पूर्ण करोगे इनको , कुछ तो बोलो अब सरकार |
स्वप्न बेचना लोकतंत्र में, सबसे बड़ा बना व्यापार |
सत्ता नौका दल जो खेते, पकड़े हाथ झूठ पतवार |
जनता बड़ी सयानी प्यारे, बैठी धरे तराजू हाथ |
दोनों पलड़े तौल़ रही है, बच पाओ अब कैसे नाथ |
दबा अंगूठा बदले सत्ता,अर्श-फर्श पल में कर जाय |
चेत गई है जनता भाई, झूठ यहां अब पच ना पाय |
जन-सेवा पथ पर आ जाओ ,तन-सेवा को दो बिसराय |
जनता जब भी फूँक मार दे ,सत्ता तिनके सा उड जाय |
अकड़ त्याग दो राजा जैसी, भरो न उँची तुम तो उड़ान |
लड़वाना अब तज दो भाई, गीता बहन भाई कुरान |
#अशोक महिश्वरे
गुलवा बालाघाट म प्र
#परिचय
नाम -अशोक कुमार महिश्वरे
पिता स्वर्गीय श्री रामा जी महिश्वरे
माता स्वर्गीय शकुंतला देवी महिश्वरे
जन्म स्थान -ग्राम गुलवा पोस्ट बोरगांव, तहसील किरनापुर जिला बालाघाट मध्य प्रदेश
शिक्षा स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य एवं अंग्रेजी साहित्य ,बीटीआई व्यवसाय :मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर वर्तमान में शासकीय प्राथमिक शाला टेमनी तहसील लांजी जिला बालाघाट मध्य प्रदेश में पदस्थ हूँ
लेखन विधा गद्य एवं पद्य
प्रकाशित पुस्तकें: प्रकाश काधीन १/साझा काव्य संग्रह २/नारी काव्यसंग्रह
प्रकाशक साहित्य प्रकाशन झुंझुनू राजस्थान
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