नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
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गुजर गया तूफान भी , पर उसे हिला ना पाया।
मील के पत्थर ने हमेशा अपना फर्ज निभाया।।
रहा स्थिर , कभी भी हिला नही अपनी जगह से,
बिना बोले,हमेशा लोगो को सही रास्ता दिखलाया।।
सही राह दिखाना हर एक के बस की बात नही ।
दुखो में साथ निभाना हर एक के बस की बात नही।।
वादे,इरादे नेकदिली सब मील के पत्थर सा दिखाएंगे।
जरूरत पड़ने पर सिर्फ सर फोड़ने के ही काम आएंगे।।
सर फूटा अगर , तो फूटा , चलो फिर भी कोई बात नही।
गिरे क्यों ठोकर खाकर,ये इल्जाम भी तुझ पर लगाएंगे।।
अब मील का पत्थर बनना किसी के बस की बात नही।
स्वार्थ हर तरफ,एक जगह टिके रहने के जज्बात अब नही।।
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