दशा

1
0 0
Read Time4 Minute, 54 Second
chandresh chatlani
वह आनंदित मन से मोटर साइकिल चलाता हुआ जा रहा था कि ठीक आगे चल रही सिटी बस से धुंआ निकला और उसके चेहरे से टकराया, वह उत्तेजित होकर चिल्लाया, “ओये! ये गंदगी क्यों फैला रहे हो… निकम्मे कहीं के” लेकिन बस तो यह जा और वह जा।
वह बेचैन हो गया, उसी अवस्था में कुछ और आगे बढ़ा ही था कि उसकी मोटर साइकिल उछल गयी, सड़क पर पानी से भरा हुआ गड्ढा था, गन्दा पानी उछल कर उसके कपड़ों और जूतों पर आ गया। वह व्याकुल होकर वहीँ खड़े एक यातायात हवलदार से कहने लगा,
“निकम्मे लोग भर्ती हैं, ज़रा सी बारिश आते ही सड़क खराब, हफ्ते-हफ्ते भर पानी भरा रहता है, पता है मेरे ऑफिस में आज फोटो सेशन है…”
हवलदार उसे अनसुना कर मुंह मोड़ कर चला गया। उसने भी कपड़ों से आ रही बदबू पर नाक सिकोड़ी और मोटर साइकिल कार्यालय की ओर बढ़ा दी।
वहां पहुँचते ही उसने अवलोकन किया, सभी साफ-सुथरे कपड़े और चमचमाते जूते पहन कर आये थे, वह हीनभावना से ग्रस्त हो नज़र बचा कर अंदर जाने ही लगा था कि चपरासी ने उसे रोक दिया और कहा, “मालिक पीछे मैदान में बुला रहे हैं।”
वह सुस्त क़दमों से चलकर मैदान में पहुंचा। उसे अस्तव्यस्त देखते ही संस्था का मालिक चौंका, और उसे इशारे से अपने पास बुलाया। वह नज़रें झुकाए उसके पास गया। मालिक ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और मुस्करा कर कहा,
“ये लो झाडू पकड़ो, स्वच्छता अभियान के लिए फोटोग्राफ सरकार को भेजने हैं, सब निकम्मे चमक रहे हैं, तुम मेरे साथ खड़े रहो, कोई तो ऐसा दिखाई दे कि सच में सफाई की है।”
और उसे अचानक अपने कपड़ों से बदबू गायब होती अनुभव हुई।
परिचय 
नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)
जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान) 
पता – उदयपुर (राजस्थान) 
 
 लेखन – लघुकथा, कहानी,  कविता, ग़ज़ल, गीत, लेख, पत्र
मधुमति (राजस्थान साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका), लघुकथा पर आधारित “पड़ाव और पड़ताल” के खंड 26 में लेखक, अविराम साहित्यिकी, लघुकथा अनवरत (साझा लघुकथा संग्रह), लाल चुटकी (रक्तदान विषय पर साझा लघुकथा संग्रह), नयी सदी की धमक  (साझा लघुकथा संग्रह),  अपने अपने क्षितिज (साझा लघुकथा संग्रह), सपने बुनते हुए (साझा लघुकथा संग्रह),  नव-अनवरत, दृष्टि (पारिवारिक लघुकथा विशेषांक), दृष्टि (राजनैतिक लघुकथा विशेषांक), हिंदी जगत (विश्व हिंदी न्यास, न्यूयॉर्क द्वारा प्रकाशित), विभोम-स्वर, वागर्थ, हिंदीकुञ्ज, laghukatha.comopenbooksonline.com, विश्वगाथा, शुभ तारिका, अक्षर पर्व, एम्स्टेल गंगा (नीदरलैंड से प्रकाशित), सेतु पत्रिका (पिट्सबर्ग से प्रकाशित), शोध दिशा, ककसाड़, साहित्य समीर दस्तक, अटूट बंधन, सुमन सागर त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका, दैनिक भास्कर, दैनिक राजस्थान पत्रिका, किस्सा-कृति (kissakriti.com), वेब दुनिया, कथाक्रम पत्रिका, करुणावती साहित्य धारा त्रैमासिक, साहित्य कलश त्रैमासिक, मृग मरीचिका, अक्षय लोकजन, बागेश्वरी, साहित्यसुधा (sahityasudha.com),  सत्य दर्शन, साहित्य निबंध, युगगरिमा, युद्धरत आम आदमी, जय-विजय, शब्द व्यंजना, सोच-विचार, जनकृति अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका, सत्य की मशाल, sabkuchgyan.com, रचनाकार (rachanakar.org), swargvibha.inhastaksher.comekalpana.netstorymirror.comhindilekhak.combharatdarshan.co.nzhindisahitya.orghindirachnasansar.com, अमेजिंग यात्रा, निर्झर टाइम्स, राष्ट्रदूत, जागरूक टाइम्स, Royal Harbinger, दैनिक नवज्योति, एबेकार पत्रिका, सच का हौसला दैनिक पत्र, सिन्धु पत्रिका, वी विटनेस,  आदि में रचनाएँ प्रकाशित

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “दशा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

साहित्य-मेरी नजर में

Wed Aug 1 , 2018
      साहित्य समाज का दर्पण है यह तो हमें अभी कहना नहीं पड़ेगा । साहित्य जाति धर्म का वाहक है । साहित्य के बिना हम किसी जाति संस्कृति अथवा धर्म को समझ नहीं पायेंगे ।      महान हिंदी साहित्यकार माननीय मुंशी प्रेमचंद जी के कहना है “जिस […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।