अलविदा : महाकवि ‘नीरज’

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swayambhu

शोखियों में घोला जाय फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलाई जाय थोड़ी सी शराब
होगा वो नशा जो तैयार वो प्यार है प्यार…
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एक कवि जिसने दुनिया को प्यार का सूत्र दिया… दुनिया भी उसे उतने ही प्यार से आज श्रद्धांजलि दे रही है…
उनके साथ जुड़े किन किन प्रसंगों को याद करूं…80 के दशक में 82 से 85 के बीच जब हिन्दी साहित्य में मेरी चार किताबें प्रकाशित हुई थीं उसी दौरान कविश्री से संपर्क बना था। उनके व्यक्तित्व और विनम्रता की क्या मिसाल दूं…साहित्य के आकाश में जगमगाते इस प्रकाश पुंज ने उस छात्र को प्रोत्साहित किया जो अभी शब्दों को बाँधने की कला सीख रहा था। पत्रों के माध्यम से उनके मार्गदर्शन ने मेरे लेखक को विकसित होने में बड़ी भूमिका निभाई। कभी उनके सभी पत्रों को आपसबों के साथ साझा करूंगा।
फिर एक अवसर था जब अक्टूबर 2015 में बेटे सौरभ के इंजीनियरिंग कॉलेज ITM ग्वालियर में उनका आगमन हुआ। उन्हें सुनने और उनका आशीर्वाद लेने के साथ मेरे साथ जुड़ी उन स्मृतियों को फिर से जीवंत बनाने का सौभाग्य बेटे सौरभ को प्राप्त हुआ।
चलिये कविश्री की इस कविता को गुनगुनाते हुए उस महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करें…

छिप छिप अश्रु बहाने वालो! मोती व्यर्थ बहाने वालो!
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता…

 #डॉ. स्वयंभू शलभ

परिचय : डॉ. स्वयंभू शलभ का निवास बिहार राज्य के रक्सौल शहर में हैl आपकी जन्मतिथि-२ नवम्बर १९६३ तथा जन्म स्थान-रक्सौल (बिहार)है l शिक्षा एमएससी(फिजिक्स) तथा पीएच-डी. है l कार्यक्षेत्र-प्राध्यापक (भौतिक विज्ञान) हैं l शहर-रक्सौल राज्य-बिहार है l सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल के इस सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई मुद्दे सरकार के सामने रखे,जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सहित विभिन्न मंत्रालयों ने संज्ञान लिया,संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। आपकी विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी,लेख और संस्मरण है। ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं l ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘श्रृंखला के खंड’ (कविता संग्रह) एवं ‘अनुभूति दंश’ (गजल संग्रह) प्रकाशित तथा ‘डॉ.हरिवंशराय बच्चन के 38 पत्र डॉ. शलभ के नाम’ (पत्र संग्रह) एवं ‘कोई एक आशियां’ (कहानी संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं l कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया है l भूटान में अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और साहित्य की उपलब्धियों के लिए सम्मानित किए गए हैं। वार्षिक पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए दिसम्बर में जगतगुरु वामाचार्य‘पीठाधीश पुरस्कार’ और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय वियाहुत कलवार महासभा द्वारा भी सम्मानित किए गए हैं तो नेपाल में दीर्घ सेवा पदक से भी सम्मानित हुए हैं l साहित्य के प्रभाव से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जीवन का अध्ययन है। यह जिंदगी के दर्द,कड़वाहट और विषमताओं को समझने के साथ प्रेम,सौंदर्य और संवेदना है वहां तक पहुंचने का एक जरिया है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।