स्वर्ग -नरक यहाँ

0 0
Read Time2 Minute, 0 Second

cropped-cropped-finaltry002-1.png

कहते हैं अच्छे -बुरे ,पाप -पुण्य के कर्म -फल के अनुसार ,

मृत्यु के बाद स्वर्ग या नरक मिलेगा. सही है ?

समाज के व्यवाहर देखने लगा तो आँखें खुली.

कर्म -फल तो ऊपर नहीं ,इसी धरती पर ही .

वह पूर्व जन कर्म फल हो या इस जन्म का पता नहीं,

पहली श्रेणी का स्नातक प्रमाण पात्र पाकर

लौटने ही वाला था तो अचानक दुर्घटना में चल बसा ,

वह तो चल बसा , उसके माता -पिता यही तड़पने लगे.यह नरक वेदना यहीं इकलौता बेटा अल्प आयु में ,

सोचो कर्म फल की वेदना ऊपर नहीं , धरती पर;

बुढापा जितना अभिशाप ,वेदना तो नरक तुलय.

मन तो चाहता है मैं कर सकता हूँ सब कुछ ,

बेटे -बहु ,पोते -पोती से मिलजुलकर नाचने -कूदने की चाह,

पर आँखें धुंधली ,कान सुनता नहीं ,नाक खो गयी सूँघने की शक्ति .

खाना बचती नहीं ,पाखाना नियत्रित नहीं ,

सब कहते बदबू ,पर बुढापा समझती नहीं ;

शरीर में झुर्रियां पद गयी, सर तो हिलती रहती.

तेज़ चलने की चाह मन में उठती ,पर दो कदम चलना मुश्किल.

सब मिलकर खाते बूढ़े को अलग दूर.

सब यही चाहते चल बस्ते तो झंझट से झूठ.

ऐसे भी कुछ बूढ़े वृद्धाश्रम में ,वह भी दो तरह के.

गरीबों के लिए वृद्ध अनाथ आश्रम है तो

दूसरा अमीर वृद्धाश्रम. पैसे अदाकरो ,आनंद से जिओ.

एक पापियों का दूसरा पुण्यात्माओं का.

तीसरे तरह के नरक तुल्य बूढ़े भीख माँग अपने परिवार को भी संभालते.कितने लूले लंगड़े ,असाध्य रोगी, कोढ़ी ,देखा धरती में ही स्वर्ग -नरक.

       #आनंदकृष्णन सेतुरमण

 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

स्थिरता

Tue Jun 19 , 2018
स्थिरता मन की सदा सुख का हो एहसास जो मन व्याकुल रहे शांति न फटके पास देहभान मे जो रहे अहंकार का हो वास विदेही बनकर जो रहे विकार न आये पास पवित्रता है आभूषण सच के मिटे झूठ का नामोनिशान जब ऐसा होने लगे सतयुग का हो आभास।   […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।