तुम हो मेरी मांग का सिन्दुर तुम हो मेरे सोलह श्रृंगार सदा सुहागन रहुँ मैं देना आर्शीवाद हर बार चुड़ी खनके हाथो मे खन-खन पैरो मे हो पायल की झंकार माथे पर हो बिन्दियाँ सुहाग की गले मे हो मोतियों का हार आँखों मे हो कजरा और होठो पर हो […]
काव्यभाषा
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