1.मेरा चाँद निकल आया है,ज़मीं पे रोशनी हो गई उस आसमाँ के चाँद की जरूरत नहीं,इक्तिला करो गर फिर भी है कुछ खुशफहमी उस चाँद को तो मेरे चाँद के पाकीज़ा तबस्सुम से मुकाबला करो हम दिखाएँगे तुम्हें इन सितारों की सब बदमाशियाँ शाम ढ़लते ही पुरानी गली में हम […]
काव्यभाषा
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