मैं कृतज्ञ हुईं जब मैंने पाया कोख तुम्हारा फिर जीवन को पाकर धन्य हुई मां करती रही परिक्रमा हमेशा तुम्हारी हर कदम पर तुमसे ही मार्गदर्शन पाकर चलती रही भ्रमणशील सी धरा पर तुम्हारे और पापा की अंगुली थामकर बुनना सीखती रही रिश्तों के खूबसूरत से तानों बानो को जीवन […]
काव्यभाषा
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