. (१६,१२ मात्राएँ) . चरणांत मे गुरु गुरु . ( २२,२११,११२,या ११११) . 🌼 नेह नीर मन चाहत 🌼 . 🤷🏻♀🦚🤷🏻♀ ऋतु बसंत लाई पछुआई, बीत रही शीतलता। पतझड़ आए कुहुके,कोयल,विरहा मानस जलता। नव कोंपल नवकली खिली है,भृंगों का आकर्षण। तितली मधु मक्खी रस चूषक,करते पुष्प समर्पण। बिना देह के […]
