1

हम तो ईश्वर को मानते हैं, वही तो सब कुछ है.. हृदय में बसते हैं, दिल में रहते हैं.. दिल में ही बसते हैं, दिल की ही सुनते हैं.. दिल में ही कहते हैं, करना है उनको जो, एहसास कराते हैं। कोई मेरा बुरा करे, मुझको बताते हैं.. बुरा करने […]

गले कैसे मिलें भैया, जब पेट हो गए मोटे। फोकट में दिल्ली लूटे, जो सिक्के हैं खोटे। सारे रिश्ते नाते हो गए, आज के माहौल में छोटे। अपराधी मौज कर रहे, फरियादी खा रहे हैं सोटे। रंग लगाने किसको जाएं, लगाने से पहले हम सोचें। नवरंगी हो हमारा हर पल, […]

अश्क़ इतने बहा लिए जाएं, दर्द सब आज़मा लिए जाएं। आज़ गफ़लत नहीं रहे कोई, राज़ सबसे जता लिए जाएं। मेज़बानी की इस शुमारी में, हाल बिखरे जमा लिए जाएं। काम आसान नज़र आएगा, हाथ सबके मिला लिए जाएं। हैसियत जानकर यहाँ अपनी, बोझ सर से हटा लिए जाएं।   […]

8

बहुत-सी बातें कहती दिनभर, फिर भी अनकही सी रह जाती.. गृहस्थी की चिंगारियों को अपने आंचल से ढँककर छुपाती, खुद अस्त-व्यस्त होकर भी.. सबकी जिंदगी मे रंग भरती.. अंदर-ही-अंदर धधकती, मुंह पर झूठी मुस्कान बिखेरती.. ये सुप्त ज्वालामुखी-सी औरतें….। लीपे-पुते चेहरे से झाँकती, उदासी की लकीरें दबा नहीं पाती.. प्याले […]

बूंद-बूंद जल का, महत्व जान लो.. जल जीवन है, पहचान लो..। होली में होगा, होलिका दहन.. पाप की जलेगी चिता, भड़केगी आग.. खुशियों के नाम पर, बहाया जाएगा जल..। धरा होगी एक दिन, सूखी अतृप्त.. करेंगें यही त्राहिमाम, कर रहे जो पाप.. स्वंय अपने ही हाथ..। कुछ पल ठहर कर, […]

परिंदे को परिंदे की पहचान है, चहुँओर मच रहा घमासान है। कतर रहे पर एक-दूजे के, बनती इससे ही इनकी शान है। बजाते सब ढपली अपनी-अपनी, न सुर है, न कोई ताल है। भूल रहे सभ्य सभ्यता सब अपनी, फिर भी खुद को खुद पर नाज़ है। कहते जीत रहे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।