महाराष्ट्र का इक जनपद, औरंगाबाद प्रसिद्ध हुआ। वहाँ दौलताबाद देवगिरि, का द्विज शिव का सिद्ध हुआ। नाम सुकर्मा औ सुदेश के, थी कोई  संतान   नहीं। शिव भक्ति में लीन सदा थे, पर किन्चित अभिमान नहीं॥ वह सुदेश के ही कहने पर, बहन उसी की घुश्मा थी। ब्याह कर लिया […]

दिल के दो टुकड़े होते ही नहीं फूटने लगती शब्दों की अविरल धारा और न ही प्रेम के दो छंद लिखते ही बन सका कवि कोई जियो एक कायरों-सी ज़िन्दगी चुपचाप मत करो प्रतिशोध किसी बात का घुटते रहो भीतर तक समेटो अंतर्मन में हर पीड़ा। जीवन के सुन्दर स्वप्न […]

फटे-पुराने  कपड़े पहने हुए, चेहरे पे झुर्रियां छाए हुए.. मुँह  लटकाए हुए, हाथ में कटोरा पकड़े.. कांख में पोटली दबाए हुए, माथे पर बदकिस्मती की तकदीर धारियों में लिखाए हुए, उल्टी-पुलटी चप्पल पहने.. बेतहाशा सड़कों पे, तो कभी गली कूचों में.. इधर-उधर चलते-फिरते, दिखने में साधु लगता.. पर है भिखारी, […]

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सोचती हूं हर दम क्या हूं मैं ? कुछ बातों की लक्ष्मण रेखा ? जीवन को सुखी बनाने वाली कोई सुविधा ? बावर्ची ? घर की चिन्तक ? हर चीज के हिसाब वाली एक डायरी ? बच्चों की आया ? पति की नौकरानी ? प्रेमिका ? या फिर निरी रखैल […]

वन अशोक में ऋतु बसन्त यूँ , बारह मासों रहता था। मध्य भाग में नीलवर्णी जल, तिरछा टेढ़ा बहता था॥ एक लक्ष अशोक वृक्ष से, घिरा हुआ वह कानन था। कमनीय लता से आच्छादित वहाँ, सघन स्वच्छ इक कुंजन था॥ कोकिल,शुक,सारिका,मयूरः, चक्रवाक ,सारस ,हंसा। जलक्रीड़ा,कलरव, विहार, करते तड़ागों में निःसंसा॥ […]

खुशकिस्मत होते हैं वो पिता जिनकी बेटियां होती है। सब दुःख भूल पिता की वो प्रहरी होती है॥ बेटे भी किसी की बेटी की खातिर पराए हो जाते हैं। बेटी पराई होने पर भी अपनों के साथ रहती है॥ जब भी मुसीबत में पिता होते हैं,बेटी रह नहीं पाती है। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।