कभी राम नाम की धरती थी, और कृष्ण नाम का राज था लुप्त हुए जब राम-कृष्ण, सब अंग्रेजों के हाथ था। एक दिन ऐसा भी आया, जब अंग्रेजों का अंत हुआ यह फिरंगियों का कल था लेकिन, भारतीयों का आज था। बंद हुआ सब खून-खराबा, चहुँओर खुशहाली थी लहराए फिर […]

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आज देखा उसकी आंँखों में एक अलग-सी चमक थी, यूं तो खामोश थी वह, पर सब कुछ कह रही थी। उतरा-सा चेहरा, फिर भी चेहरे पर मुस्कान, यही तो थी उसकी गरीबी की पहचान। बोली वह मुझसे आकर, कुछ खाने को चाहिए, सोच में पड़ गई आज मैं, सुना था […]

गुदगुदा प्यार में कभी जाता, गुनगुना कान में कभी जाता; आके चुपके से कभी कुछ कहता, साँवरा हरकतें अजब करता। ग़ज़ब की बांसुरी सुना जाता, कभी वह नज़र भी कहाँ आता; अदद अंदाज से कभी मिलता, कभी बंदा नवाज़ बन जाता। नब्ज़ हर वक़्त देखता रहता, धड़कनें हृदय की सदा […]

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उस पैदा हुई बच्ची को अपाहिज देख डॉक्टर की भी आंखों में आंसू आ गए। उनकी आंखों में आंसू आना लाजमी था,क्योंकि बच्चे को जन्म देने वाली उसकी मां जिंदा नहीं थी, और जो अभी-अभी इस धरती पर जन्मी है वह अपाहिज है। ऑपरेशन थिएटर के बाहर खड़ा उसका पति […]

शौर्य है वह जो लगा दे आग पानी में, शौर्य पागल भी करे चढ़ती जवानी में। सरफ़रोशी भी जगा दे कातिलों खातिर, शौर्य चूमें आसमाँ नादाँ जवानी में। शौर्य की पहचान है वो आग से.खेले, शौर्य देता मोड़ है जीवन कहानी में। शौर्य तूफानी हवा जो मोड़ देता रुख, शौर्य […]

देश की आन होते हैं,देश की शान होते हैं, गुणों की खान होते हैं,वीरता गान होते हैंl सजाते भारती माँ को,हैं सैनिक खून-पसीने से, बसे दिन-रात सीमा पर,त्याग वलिदान होते हैं। कभी आँधी में चलते हैं, कभी तूफां में चलते हैं, सभी मौसम में ढलते हैं, तोप गोलों से जलते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।