वह हुनर किस काम का, जो किसी के काम न आए ? वह मनुष्य मनुष्य क्या, जो मनुष्य के काम में न आए ? वह धर्म भी किस काम का, जो गैरों से बैर करना सिखाए ? धरा पर शत धर्म,सबको, प्रेम पथ पर चलना सिखाए॥ चोरी-ठगी-बेईमानी, का हुनर बेकार […]
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जीवन के बेगाने गाने, गुनगुनाता,आगे बढ़ता जाता हूं। मुस्काता हूं,सावन को मुठ्ठी में भरकर, चलता हूं,फिर गाता हूं॥ सकारात्मक चिंतन संभव, पूरे होते मानव के अभीष्ट सभी। सत्यम्,शिवम्,सुन्दरम् और, प्रसन्न होते ईष्ट सभी॥ मैं उठता हूं अपने पैरों, सुमनों को जल दे आता हूं। मुस्काता हूं,सावन को मुठ्ठी में भरकर, […]