सृष्टि के समस्त कलमकार पागल हैं। यशकर्ता विघनहर्त निराकार पागल हैं।। प्राकृतिक पागल हैं जो करते हैं यहां। किसी पर मानवता परोपकार पागल हैं।। वर्तमान से भविष्य तक संघर्ष उपरांत। स्वप्न अपने जो करें साकार पागल हैं।। भ्रष्ट न्यायधीश तभी करते नहीं न्याय। वह जांचते याचि का आकार पागल हैं।। […]
