शाही पशु है बाघ हमारा, हैं इसके राजसी ठाठ। अपनी सुरक्षा की खातिर, ये जोह रहे हैं बाट। शिकारी है अव्वल दर्जे का, ना इसके टक्कर का कोई। खाद्य श्रृंखला के शीर्ष विराजे, ना इसका प्रतिद्वन्दी कोई। उजड़ रही है दुनियाँ इनकी, उजड़ रहे आवास। नित घट रही है संख्या […]
गुरुपूर्णिमा की संध्या पर कलम की सुगंध छंदशाला परिवार के द्वारा आनलाइन काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थापक आदरणीय संजय कौशिक विज्ञात जी,मुख्य अतिथि बाबूलाल शर्मा ‘विज्ञ’ और विशिष्ट अतिथि सीमा अवस्थी रही । मंच संचालन अर्चना पाठक निरन्तर और इन्द्राणी साहू साँची ने की । […]
