मंजिल को दृष्टि में रखता…, सजग राहों में गिरता चलता…l खुशियां देता गम को सहता…, आँधी-तूफानों में निश्चल चलता…l छलता-छलता छलते जाता…, पाते-खोते चलते जाता…l प्यासा होकर प्यास बुझाता…, धोखों के ईंधन को खाता…l मंजिल को पाने राहों को टेरता…, मृगतृष्णा को मंजिल माने चलता राहगीर…l मंजिल को सफर का […]