न किसी से अपेक्षा, न किसी से शिकायत, न खुशी की चाह, न गम का परवाह, न अधिकार की बात, मैं अपना कर्त्तव्य निभाता हूँ , मैं घर चलाता हूँ । न खाने की चिंता, न पहनने का शौक, न सोने का समय, न जगने का ठिकाना, चलते चलते भी […]
आखिर किसकी तलाश है तुम्हे धन की? जो क्षणिक है, जो लालच, अहंकार पैदा करता है, जो अपनों से अलग करता है, जो भौतिक जरूरतें ही पूरा कर सकता है। सम्मान की ? उस झूठे सम्मान की चाह, जो अल्पकालिक होता है, जो भय से भी मिलता है, जो निहित […]
परम्पराएं तो हैं अपनी पहचान सखी, जब तक करे ये अपना सम्मान सखी, जब करे ये आत्मसम्मान पर प्रहार सखी, तो मिल करना है इसमें सुधार सखी। कोई भी कितना नकेल लगाये हम पर, पर इसका परिष्कार जरुरी है, नर- नारी सब रहे खुशहाल हरदम, हर प्रथाओं में सामान अधिकार […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।