प्रेम तो मन के भावों की पावन अभिव्यक्ति होती है, वात्सल्य माँ की शिशु भाव-सी अदभुत शक्ति होती है। माँ गंगाजल जैसी निर्मल मन्दिर-मस्जिद-गुरुद्वारा है, चातक-सी है अमर समर्पण पतंगे-सी प्रेम परस्ती है। छल छिद्र नहीं हो छद्म कोई न बस चाहत की अभिलाषा, कहना है ‘शिवम्’ तुमसे ये मेरा […]