मैं ‘पुष्प’ जन-जनकेमनमें,सौन्दर्यभराकरताहूँ, मैं ‘ हरघरकाउपवनअपने, सौरभसेमहकाताहूँ। मेरा ‘वैभव’ मेरे..कंटक,मेरीशाखसेलिपटेरहते, मुझतकआतेहस्तकापहले ,येप्रक्षालनकरते। मेरेमृदुलकीरखवाली, येहीकंटकहीतोकरते मेरासौरभसबकोमिले, ऐसाजतनयेकरते कोमलमेरीदेखपंखुड़ी ,कुछलोभीललचाते, मधुकेभूखेमुझकोअपनी,नजरोंसेमैलाकरते । हूँमैं ‘पुष्प’जीवनकोत्याग,देवोंकोसमर्पितहोता, मैं ‘पुष्प’ डालीकोछोड़ ,प्यारकासाखीबनता। मैंहीहूँवो ‘फूल’ चरणोंकीधूल,बनताहूँहँसते-हँसते, माँकोसमर्पितप्राणोंकोवीर,करनेजातेजिसरस्ते। महकमेरीमुस्कानबने,मैंदिलसेदुआयेकरता, नालोभमुझे ‘जीवन’ का,मैंदूजेकेहितहूँजीता। #सुनीता बिश्नोलिया परिचय : सुनीता पति राजेंद्र प्रसाद बिश्नोलिया का स्थाई निवास […]