ये माफ़ीनामा, महज इक माफ़ीनामा है.. कोई निज़ाम का सूरज नहीं, कोई हौंसले की लहलहाती फसल नहीं, और न ही आने वाले वक़्त की किस्मत है ये.. ये महज़ माफ़ीनामा है, महज माफ़ीनामा। एक काल्पनिक दुनिया में लिखा गया माफ़ीनामा , जो फ़िर वक्त मिट गया,लेकिन जिसकी सदा न मिटी, […]