जानिए स्वयं को स्वयं से मानिए स्वयं को स्वयं से आत्मस्वरूप को निहारिए मैं कौन हूँ , यह जानिए क्या स्वरूप है मेरा? इस देह से क्या नाता है मेरा? देह तो पंचतत्व है,मिटनी है आत्मा ज्योतिबिंदू है,टिकनी है पर आत्मा को तराशना होगा शांति,धैर्य, सेवा से तापना होगा आत्मा […]

धर्म ग्रन्थ कुछ भी पढो पढो मानवता का पाठ सबसे बड़ा एक ही धर्म मानव सेवा जन कल्याण राष्ट्रधर्म उससे भी बड़ा जरूरत पड़े तो दे बलिदान सभी धर्म एकता सिखाते भाईचारे का पाठ पढ़ाते और देते रूहानियत का ज्ञान जैन धर्म से अहिंसा सीखो हिन्दू धर्म से सहिष्णुता मुस्लिम […]

जिसने अच्छे कर्म किये मिला मान और सम्मान जीवन अपना ही सुधारता समाज मे पाता अधिमान बुरे कर्म को करने वाला खो देता है अपना मान लोग हेयता से देखते जगह जगह होता अपमान नजरो से अपनी ही गिरता जीवन को बदतर जान बुरे कर्म को छोड़कर करो सद्कर्मों का […]

सकारात्मक सदा सोचने से सकारात्मक होते परिणाम कष्ट कितना भी तन मन को हो सकारात्मक सोचे अविराम परमात्मा पर विश्वास रखकर कष्ट – मुक्ति का ध्यान कीजिए जिन ओषधियों की हो जरूरत वह भी नियमित जरूर लीजिए प्रालब्ध भोगना तो नियति है उससे बचकर भागना कैसा पर जब परमात्म भाव […]

दिवंगतों की मुक्ति का परमधाम है गया पूर्वजो के प्रति श्रद्धा का अनूठा स्थान है गया अतृप्त आत्माओ को तृप्ति दिलाती है गया भटकती आत्माओ को शांति दिलाती है गया पितरो के प्रति आस्था का विष्णु स्थान है गया नई पीढ़ी के लिए पूर्वजो के प्रति दायित्व बोध है गया। […]

जिस धरा पर गयासुर का विष्णु पद से हुआ संहार जिस धरा पर मां सीता ने ससुर का किया पिंड उद्धार जिस धरा पर श्रापित नदी तरस रही है पानी तक को जिस धरा पर देवालय में हिन्दू ही कर पाते है प्रवेश गया धरा है वह पवित्र भूमि गौतम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।