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जिगर जां न्यौछावर करते हैं हम,
तुझ पर वतन मेरे,भारत भुवन।
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम॥
वेदों की संस्कृति,प्राणों से प्यारी,
पापों का मोचन,ये गंगा हमारी।
सागर ये चरणों पे करता नमन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम॥
तुझ पर वतन मेरे ,भारत भुवन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम।
राम और रहीम की वो,जोड़ी है प्यारी,
विविधता में एकता है,जग से न्यारी।
बुद्ध की गरिमा तुझमें नानक भजन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम॥
तुझ पर वतन मेरे,भारत भुवन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम।
तिरंगा ये तेरा,गगन चूमे जाता,
स्तम्भ ये अशोक का,मान बढ़ाता।
पूजे हैं हम तो तुझको हो के मगन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम॥
तुझ पर वतन मेरे,भारत भुवन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम।
बापू की बातें वो,अब्दुल(कलाम) की खोजें,
दिल्ली पे शोभित दुनियां की मौजें।
सातों समुद्रों से कहे ये पवन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम॥
तुझ पर वतन मेरे,भारत भुवन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम।
ज्यूँ फूले दुनियां,सब ऊपर तू चमके,
उन्नति तेरी हो,अब जम-जम के।
तिरंगा ही फहरे सारी दुनिया गगन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम॥
तुझ पर वतन मेरे,भारत भुवन,
जिगर-जां न्यौछावर करते हैं हम॥
#दुर्गेश कुमार
परिचय: दुर्गेश कुमार मेघवाल का निवास राजस्थान के बूंदी शहर में है।आपकी जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी है। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ली है और कार्यक्षेत्र भी शिक्षा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। विधा-काव्य है और इसके ज़रिए सोशल मीडिया पर बने हुए हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी की सेवा ,मन की सन्तुष्टि ,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है।
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