हमें इसका पता कुछ भी नहीं हैl
हमें कल गाँव को जाना पड़ेगा,
वहाँ माँ की दवा कुछ भी नहीं हैl
चलो छोड़ो शिकायत और शिकवा,
मोहब्बत में खता कुछ भी नहीं हैl
उसे ही मुआवजे सरकार देगी,
उसी का घर जला कुछ भी नहीं हैl
कभी जाकर के दिल्ली देख लो तुम,
तुम्हारी तो अदा कुछ भी नहीं हैl
शरीफ़ों ने शराफत ओढ़ ली है,
कि जैसे माज़रा कुछ भी नहीं हैl
छुपाकर रख लिया फिर दर्द अपना,
वही तो देखता कुछ भी नहीं हैl
#डॉ.जियाउर रहमान जाफरीपरिचय : डॉ.जियाउर रहमान जाफरी की शिक्षा एम.ए. (हिन्दी),बी.एड. सहित पीएचडी(हिन्दी) हैl आप शायर और आलोचक हैं तथा हिन्दी,उर्दू और मैथिली भाषा के कई पत्र- पत्रिकाओं में नियमित लेखन जारी हैl प्रकाशित कृति-खुले दरीचे की खुशबू(हिन्दी ग़ज़ल),खुशबू छूकर आई है
और चाँद हमारी मुट्ठी में है(बाल कविता) आदि हैंl आपदा विभाग और राजभाषा विभाग बिहार से आप पुरुस्कृत हो चुके हैंl आपका निवास बिहार राज्य के नालंदा जिला स्थित बेगूसराय में हैl सम्प्रति की बात करें तो आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य करते हैंl