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बरस यह अद्भुत नवेला आया,
चरण रामलला के अयोध्या लाया।
राजीव लोचन अवध पधारे,
सिया संग लखन भी पैर पखारे।
हनुवंत संग वानर सेना भी आए,
अवधवासी सेवा कर मुस्कराए।
नित्य धूप-दीपारती साँझ सवेरे,
भाग्यवान है इस स्वर्ग में सारे।
राम राज्य आते देख नैनों से,
जन्म सफल है देह और मन से।
संग लला के पहुँचें हम अवध में,
है राज्याभिषेक उनका अवध में।
हे राजाधिराज! याद न करना वनवास,
मनमोहक अवध स्वागत में सजा है ख़ास।
अदम्य प्रेम का प्रतीक सिया सुहासिनी,
सोलह शृंगार कर सजेगी वनवासिनी।
सरयू का हर कण–कण बना है कंचन,
पत्ता–पत्ता, बूटा–बूटा महके जैसे चंदन।
धड़कता हृदय लेकर राम का स्पंदन,
होगा रावणों का मान मर्दन।
वंदन करें अब तुम्हारा हे कौशल्या नंदन!
अयोध्या करे अभिनंदन हे दशरथ नंदन!
हर घर आँगन फूलों से सजाधजा है,
वंदनवार ,तोरण ,केसरिया ध्वजा है।
#डॉ. सुनीता फड़नीस
इंदौर