प्रेम मंगल का बाल कविता संग्रह ‘मेहेर’ लोकार्पित

1 0
Read Time2 Minute, 34 Second

बाल साहित्य की रचना करना आसान नहीं- श्री माहेश्वरी

संस्मय सम्मान से श्रीमती मंगल सम्मानित

इन्दौर। वरिष्ठ लेखिका प्रेम मंगल की बाल कविताओं के संग्रह मेहेर का लोकार्पण क्षेत्रीय कार्यालय जीपीओ सभागार में सोमवार को हुआ।

संस्मय प्रकाशन द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन व सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि पोस्ट मास्टर जनरल बृजेश कुमार जी ने कहा कि ‘आज के दौर में बच्चों के लिए और ज़्यादा रचनाएँ लिखने की ज़रूरत है। साहित्य समाज का मार्गदर्शन करता है।’

कार्यक्रम की अध्यक्षता देवपुत्र के कार्यकारी संपादक श्री गोपाल माहेश्वरी ने की, उन्होंने कहा कि ‘भारत में कवि परंपरा ऋषि परम्परा है, जो मनुष्य है, जो भाव युक्त है उसके भीतर कवित्व मौजूद है। बाल साहित्य पढ़ने में भले आसान लगता है किन्तु इसकी रचना करना कठिन होता है।’

विशेष अतिथि सहायक निदेशक (डाक) श्री राजेश कुमावत ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘कवि शब्द शिल्पी होता है, जो कल्पना से मूर्ति गढ़ता है।’

विमोचन उपरांत प्रकाशन द्वारा लेखिका प्रेम मंगल को दीया मेरी भावना पुस्तक के लिए ‘संस्मय सम्मान 2022’ से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन व स्वागत वक्तव्य मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन अविचल ने दिया एवं आभार वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चंद्र शर्मा ने माना।

आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार रविन्द्र पहलवान, वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी, जेपी बजाज, प्रकाश दुबे, दिनेश डोंगरे, मणिमाला शर्मा, जसमीत भाटिया, अतुल तिवारी, सुषमा पटेल, जयश्री राघवेंद्र, श्रीनिवास जोशी, उमेश नीमा, प्रेम बागोरा आदि मौजुद रहे।

matruadmin

Next Post

सोशल मीडिया पर ख़बरों के दौर में अख़बारों पर भरोसा

Mon Apr 17 , 2023
हिंदी लेख माला के अंतर्गत डॉ. वेदप्रताप वैदिक डॉ. वेदप्रताप वैदिक जहाँ तक राष्ट्रीय मीडिया की लोकप्रियता का सवाल है, यह कहना कठिन है कि उसके प्रति आम लोगों का प्रेम या आदर बढ़ा है लेकिन उसके दर्शकों और पाठकों की संख्या तो काफ़ी बढ़ी ही है। जब आज से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।