परिचय : रमेश दास वैरागी सेवानिवृत्त कनिष्ठ लेखा अधिकारी हैं जो आदिवासी विकास विभाग(झाबुआ) में कार्यरत थे।
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बाहर भी दिखा था,
भीतर भी दिखा था
लफ्ज़ कुछ शातिर थे
लफ्ज़ कुछ कातिल थे
शब्द कुछ दोस्त थे
शब्द कुछ दुश्मन थे
दिल में समेटे हुए
लफ्ज़ सभी मौन थे।
एक सैलाब आया,
आंधी की तरह और
लफ्जों के बांध को
तोड़ दिया,वहां
लेखनी खड़ी थी
और आपने अपने
दिल में छुपे हुए
भावों को बाहर
छोड़ दिया।
जो लिखना था,
बाकी वो सब कुछ
आज लिख दिया,
खामोशी का मौन
आज तोड़ दिया।
#आर.डी.वैरागी
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