“क्षेत्रीय बोली आत्मनिर्भरता की पहचान दिलाती है”-नीर
नवीन कुमार भट्ट नीर:-
साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा बोली विकास मंच पर आयोजित बोली संवर्धन ऑनलाइन वीडियो कवि सम्मेलन 07 फरवरी 2021 शाम 07 बजे आयोजित किया गया कार्यक्रम के शुभारंभ में मां वीणापाणि को फूल,माला दीप जलाकर वंदना की गई इस दौर मे अतिथियों पदाधिकारियों व क्षेत्रीय बोली के कवि जनों की भूमिका रही,इस कार्यक्रम के संचालक विनोद वर्मा दुर्गेश जो कि सशक्त हस्ताक्षर साहित्य संगम संस्थान के प्रत्येक कार्यक्रम बेहतरीन व उम्दे अंदाज में सुव्यवस्थित ढंग से संचालन करते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रभात वर्मा दैनिक दस्तक प्रभात ने अपने वक्तव्य में कहा कि आप सभी का सादर वंदन अभिनंदन करता हूं बोली विकास मंच देश की सभी भाषाओं की उन्नति और प्रगति बनकर कार्य करता है मैं इस मंच के माध्यम से आप सभी रचनाकारों को बस यही कहना चाहता हूं कि देश के सभी भाषाओं का विकास हो,हमारी क्षेत्रीय भाषा विभिन्न क्षेत्र में बदल जाती है,हर क्षेत्र की भाषा अलग-अलग होती है,हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी है और हम मातृ भाषा को हृदय से लगाए रहते हैं, संस्थान के पदाधिकारियों का क्रतज्ञ आभार ज्ञापित करता हूं कि मुझे आज के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बनाकर कार्यक्रम में शिरकत करनें का अवसर प्रदान किए,
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कविराज तरुण सक्षम महासचिव ने कहा है कि बोली हिंदी भाषा को समर्थ और समृद्ध उसी प्रकार करती है जैसे किसी विशालकाय वृक्ष को अनेक जड़ें । भारत जैसे विशाल सांस्कृतिक देश में क्षेत्रीय समाज अपने अलग-अलग रीति-रिवाज और जीवनशैली के आधार पर अपनी पहचान बनाये हुए है , जिसमे बोली व क्षेत्रीय भाषाओं की भूमिका सराहनीय है । साहित्य संगम संस्थान द्वारा बोली संवर्धन ऑनलाइन वीडियो कार्यक्रम हम सभी को इस क्षेत्रीय विरासत की सुंदरता को एक ही स्थल पर सुनने का अवसर दे रहा है । इसके लिए संस्थान के प्रत्येक पदाधिकारी , आयोजन समिति के सभी सदस्य व कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी साहित्यकारों को हृदय से बधाई ,,,
कार्यक्रम संयोजिका ज्योति सिन्हा ने कहा कि साहित्य संगम संस्थान विशाल साहित्यिक संस्था है साथ ही बोली विकास मंच के माध्यम से स्थानीय बोलियों को समृद्ध व विकसित के लिए निरंतर प्रगति कर रहा है हम सबकी सहभागिता से ही यह और व्यवस्थित ढंग से कार्य करेगा,आज के कार्यक्रम के विभूतियों को साभार वंदन अभिनंदन, संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ राजेश कुमार शर्मा पुरोहित ने बोली संवर्धन ऑनलाइन वीडियो कवि सम्मेलन के भव्य व सुव्यवस्थित ढंग से संचालन करने के लिए बोली विकास मंच के पदाधिकारियों को बधाई देते हुए आज के मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम अध्यक्ष, विभिन्न बोलियों में शिरकत करनें वाले रचना धर्मियों का स्वागत करते हुए अपनी राजस्थानी भाषा में काव्य पाठ किये।इस कार्यक्रम मेंअध्यक्ष सोनी गौतम, राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर सिंह मंत्र, कोषाध्यक्ष छाया सक्सेना प्रभु,सलाहकार डॉ राकेश सक्सेना,मीडिया प्रभारी मिथलेश सिंह मिलिंद,सह अध्यक्ष कुमार रोहित रोज,आह्लाद प्रधान संपादिका वंदना नामदेव विशेष तौर पर आमंत्रित थे,,,आप सभी का नवीन कुमार भट्ट नीर संयोजक होने के नाते आप सभी की उपस्थिति को नमन करता हूं,नित नये सोपान व और बेहतर ढंग से यह कार्यक्रम सफल हो, गौरवान्वित का भरा क्षण यह बोली विकास मंच जहां बोलियों को लेकर निरन्तर प्रगति कर रहा है हरियाणवी,गुजराती पंजाबी बुन्देली कन्नड़,बघेली,अवधि आदि देश के कोने-कोने में बोली जाने वाली बोलियों सुअवसर प्रदान किया है साथ ही यह जंग जारी रहेगी बोलियों के सम्मान में,प्रत्येक माह नये नये रचना धर्मियो को उनकी क्षेत्रीय बोली पर काव्य पाठ करवाया जाता है, क्षेत्रीय बोली आत्मनिर्भरता की पहचान दिलाती है। कार्यक्रम के पूर्व महीने में विशेष तौर पर विज्ञप्ति प्रेषित की जाती है उनमें से 10 प्रतिभागियों को चयन किया जाता है साथ पोस्टर आदि बनाकर प्रचार प्रसार आदि किया जाता है ,प्रत्येक माह के प्रथम रविवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम अध्यक्ष,व संस्थान के पदाधिकारी गणों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम सुव्यवस्थित ढंग से संचालित होता है।कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि विद्वान,रचनाकार, कवियों, कार्यक्रम संचालक विनोद वर्मा दुर्गेश एवं उपस्थित श्रोताओं का बहुत बहुत धन्यवाद बधाई देता हूं।,,, कार्यक्रम संचालक दुर्गेश जी ने कहा है कि यह कार्यक्रम अनूठे व अद्वितीय ढंग से चलता है वह नव हस्ताक्षरो को बारी बारी से सुअवसर प्रदान करता है, बहुत बहुत धन्यवाद,,, कार्यक्रम में क्षेत्रीय बोली में शिरकत करनें वाले कवियों में सुषमा मनोज पाण्डेय रायगढ़,छत्तीसगढ़ ने “मोही पढहो न आबय”, तुलसी राम राजस्थानी राजस्थान ने
जमानों कितरो, बदनाम ही गयो
जाणे क्यूं आदमी शैतान हो गयो
परेमभाव दीसै कोनी, नैड़े-ढूंकड़े ही
घर-घर म्हाभारत घमासाण हो गयो
गजल के माध्यम से समां बांधी।सुषमा पाण्डेय रायगढ़ छत्तीसगढ़ ने “मै तो आरती उतारु अपने शारदे मैय्या के”,ज्योति जैन बलसाड़ गुजरात “विश्वास छे मने तारा मन”अनिता मंदिलवार सपना अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ ने “बिनती है तोरेच मइया तोरे जय जयकार ओ”,बेलीराम कंसवाल भेट्टी टिहरी गढ़वाल ,उतराखण्ड ने ‘जख ऊंचो हिमालै सर्ग लम्यालु मनख्यों मा भलु ,भै-चारु दिख्यालु, गंगा जी सबुका’ प्रस्तुति दी,उमा जी सुभाष पाटिल कोल्हापुर महाराष्ट्र ने शीर्षक – “हे वीर शिवाजी राजे पे” काव्य पाठ की,सुनीता रानी राठौर बुद्धनगर नोएडा,उत्तर प्रदेश ने “व्यस्त समय व्यस्त पर व्यस्त जीवन राह पर प्रस्तुति दी,इस कार्यक्रम में महेश राठौर, डॉ अर्चना वर्मा, डॉ भावना दीक्षित,रीता झा,अर्चना तिवारी,भारत भूषण पाठक,मोहन रेखा, शैलेन्द्र गौड़,प्रियका प्रियदर्शिनी,अनिल धवन, मंजूषा किंजबडेकर आदि की विशेष उपस्थिति थी।