मेरे जीवन का है यही सपना,
खुशियों का महल हो अपना।
जिनको जमाने ने है छोड़ा,
उनको मैं अपना बनाऊं।
जिनका जग में नहीं कोई,
मैं ही उनकी हो जाऊं।
मेरे जीवन का है यही सपना,
खुशियों का महल हो अपना।
खून के आंसू जो रोए,
उनकी मुस्कान बन जाऊं।
जिनका सहारा ना कोई,
उनका सहारा बन जाऊं।
मेरे जीवन का है यही सपना,
खुशियों का महल हो अपना।
बनाऊं घर मैं एक ऐसा,
जिसको मैं स्वर्ग बनाऊं।
रहें सब एक छत के नीचे,
संग उनके खुशियां मनाऊं।
मेरे जीवन का है यही सपना,
खुशियों का महल हो अपना।
मिलजुल बनाऊं मैं खाना,
हाथों से अपने खिलाऊं।
गोद में उनके सिर रखके,
ढेरों आशीष मैं पाऊं।
मेरे जीवन का है यही सपना,
खुशियों का महल हो अपना।
फिकर करके मैं उनकी ,
अपने गम भूल मैं जाऊं।
जिनको दुत्कारे हैं अपने,
उनपे मैं प्यार लुटाऊं ।
मेरे जीवन का है यही सपना,
खुशियों का महल हो अपना।
खुशी के दीप जलाने को,
गुजर हद से मैं जाऊं।
पड़े जलाना यदि खुद को,
खुशी से खुद को जलाऊं।
मेरे जीवन का है यही सपना,
खुशियों का महल हो अपना।
बांट कर दर्द मैं उनके,
मैं भी सुकून को पाऊं।
पोंछ कर उनके मैं आंसू,
दौलत जग की मैं पाऊं।
मेरे जीवन का है यही सपना,
खुशियों का महल हो अपना।
दे दो शक्ति मुझे भगवान्,
ऐसा कुछ करके दिखाऊं ।
खुशियों का महल बन जाए,
आसरा सबको मिल जाए।
मेरे जीवन का है यही सपना,
सबकी खुशी ही धर्म हो अपना।
रचना
सपना (स० अ०)
प्रा० वि० उजीतीपुर
जनपद औरैया