गांधी जी के तीन बंदर

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गांधी तेरे तीन बंदर,नेताओ के भेष में।
लूट खसोट ये कर रहे,अब तेरे देश में।।

नही सुनते नहीं देखते,क्या हो रहा है इस देश मै।
गूंगे बहरे अंधे बने हुए है,कुछ नहीं करते देश में।।

बैठ जाते है राजघाट पर,तेरा मार्ग दिखाने को।
मुख में राम बगल में छुरी,दौड़ पड़ते है खाने को।।

अच्छा होता इन बंदरो को लेे जाते तुम अपने साथ में।
कटखने हो गए हैं ये बहुत,झोला रखते अपने साथ में।।

ले रक्खी है लाठी तेरी,जनता को इससे ये डराते हैं।
इससे भी काम न चले,फिर मार पीट भी कराते हैं।।

छीन लेते हैं गरीबों का टुकड़ा, अमीर इनके चेले होते हैं।
हर कला के ये गुरु बने हुए हैं,बुरी सीख सबको ये देते हैं।।

करो अंदर इन बन्दरों को,तभी शांति देश मै आयेगी।
वरना तेरी मूर्ति राजघाट से कहीं ओर चली जाएगी।।

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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