जीवन से नदारद—–प्यार हो गया।
आदमी का तामसी व्यवहार हो गया।।
जिसे भी देखो —–बस भाग रहा है।
धन-दौलत ही जीवन — सार हो गया।।
गायब हो गई है —-बाज़ारों की रौनक।
ऑनलाईन सारा —-व्यापार हो गया।।
माँ-बाप को अनाथालय में छोड़ कर।
वो कहता है —घर गुलज़ार हो गया।।
मोबाईल पर ही आते हैं बधाई संदेश।
फीका-फीका हर—त्यौहार हो गया।।
मेरा-मेरा कहता है–आज हर कोई।
कितना स्वार्थी–यह संसार हो गया।।
हवा और प्रकाश को तरसे हर मकाँ।
‘परिन्दा’ भी घर से फरार हो गया।।
#रामशर्मा ‘परिन्दा’
परिचय : रामेश्वर शर्मा (रामशर्मा ‘परिन्दा’)का परिचय यही है कि,मूल रुप से शासकीय सेवा में सहायक अध्यापक हैं,यानी बच्चों का भविष्य बनाते हैं। आप योगाश्रम ग्राम करोली मनावर (धार, म.प्र.) में रहते हैं। आपने एम.कॉम.और बी.एड.भी किया है तथा लेखन में रुचि के चलते साहित्य