
आधा बीता, आधा बाकी,यह साल रहा जीवन की झांकी…
एक बात “राणा” समझाए, दिन निकले जब बीते राती..
भूकंप कभी आ जाए , तो कभी तूफान डराए…
कभी बारिश बनी आफत, बिजली कभी गिर गिर जाए..
विश्वास ना तोड़ो लेकिन ईश्वर पर भरोसा राखी
आधा बीता आधा बाकी, यह साल जीवन की झांकी..
कोरोना हाहाकार मचाए, कई घरों के दीप बुझाए…
चीन सीमा पर आंख दिखाएं,फिर भारत सेना से मुंह की खाए..
उल्का पिंड की बातें भी लगे, जैसे कभी सच कर जाती…
आधा बीता आधा बाकी, यह साल रहा जीवन की झांकी…
सारी 20 की कड़वी यादें, “राणा” मिलकर साथ भुलाएंगे..
बचा आधा साल भी कट जाए, फिर इक्कीस में जश्न मनाएंगे…
एक बात “राणा” समझाए, दिन निकले जब बीते राती..
आधा बीता आधा बाकी हमें, यह साल रहा जीवन की झांकी…
सचिन राणा “हीरो”
हरिद्वार (उत्तराखंड)