हनन और दमन तुम
दूसरों का कर रहे हो।
उसकी आग में
अपने भी जल रहे हैं।
कब तक तुम
दुसरो को ररुलाओगें।
एक दिन इस आग में
खुद भी जल जाओगों।
और अपने किये पर
बहुत पषताओगें।
पर उस समय तुम
कुछ नहीं कर पाओगें।।
कहते है उसके घर में
देर है अंधेर नहीं।
जो अपने किये
कर्मो से बच पाओगें।
और बिना फल भोगें
यहां से नहीं जा पाओगें।।
बनाने वाले ने क्या
संसार बनाया हैं।
इसमें सभी को अपनी
भूमिका निभाना हैं।
जीवन के खाते में कर्मो का
हिसाब लिखना हैं।
और उन्हें यहां पर
तुम्हे चुकाना हैं।।
जीवन का ये चक्र
हमें समझना हैं।
और दुनिंयां को
इसे समझना हैं।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)